अक्टूबर का महीना खत्म होने वाला है और उत्तराखंड में गुनगुनी ठंड ने दस्तक दे दी है। यह मौसम चारधाम यात्रा के समापन का भी संकेत देता है। गर्मी की तपिश से राहत मिलने के बाद, पहाड़ों की हवा में एक ताजगी है, ऐसे में बधानी ताल का टूर हर यात्री के मन को मोह लेगा।
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इस सुहाने मौसम में, हम तिलवाड़ा से बधानी ताल तक के अद्भुत सफर पर निकल रहे हैं, जो लगभग 50 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। रास्ता काफी संकरा और घुमावदार है, लेकिन हर मोड़ पर प्रकृति की खूबसूरत झलक देखने को मिलती है। सड़क के एक ओर ऊंचे पहाड़ हैं, तो दूसरी ओर गहरी खाई। इन रास्तों के दोनों किनारे घने और लम्बे चीड़ के पेड़ों की छांव से गुजरते हुए यह यात्रा और भी रोमांचक बन जाती है।
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मयाली की बाद की रोड से बधानी ताल तक पहुंचने के लिए ट्रांसपोर्ट के साधन कम मिलते हैं, लेकिन यह रास्ता अपने आप में एक अनुभव है। यहां के लोग अक्सर बोलेरो व टाटा सूमो गाड़ियों के बाहर लटके मिल जाते हैं, जो इस यात्रा को और भी खास बनाते हैं। पर यह जोखिम भरा लगता है , जब रोज इसे रास्ते में ही जाना हों तो आदत पड़ जाती है पर पहली बार देखने वालों को आश्चर्य होता है कि लोग इसे क्यों जाते है।
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जब आप बधानी ताल पहुंचते हैं, तो आपको यहां की सुंदरता देखकर मन प्रसन्न हो जाता है। तालाब में लाल रंग की छोटी मछलियां और कुछ छोटी व बड़ी मछलियां तैरती हुई नजर आती हैं। मछलियों को दाना डालते समय बिल्कुल हाथ से छूकर निकल जाती है। यह मान्यता है कि बधानी ताल भगवान विष्णु को समर्पित है यहां के जल का त्रिजुगी नारायण से संबंध है जब भी त्रिजुगीनारायण में हवन यज्ञ होता है यहां तालाब का जल स्तर स्वयं बढ़ जाता है। इस तालाब में मछलियां पकड़ना मना है। मान्यता है कि यदि कोई मछलियां पकड़ता है तो गांव में बहुत ही आफत आ जाती है व पकड़ने वाले को कोड हो जाता है।
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इस तालाब के चारों ओर छोटा सा समतल मैदान है, जिसका ढलाव ताल की ओर है। तालाब के दाईं ओर कुछ सुंदर मकान हैं, जो यहां के गांव वालों के हैं। इनके ठीक पहले एक धर्मशाला भी है, जहां यात्री देव पूजन के समय रुक सकते हैं। यहां से नजर आने वाले ऊंचे-ऊंचे पहाड़ और दूर-दूर तक फैले छोटे पहाड़, दृश्य को और भी आकर्षक बना देते हैं। सदियों में यहां बर्फ की चादर बिछ जाती है, लोकल गांव वालों का जीवन बहुत कठिन है कहने को तो यहां हेलीपैड है पर सब जानते है कि इससे गांव वालों को क्या फायदा होगा जिन लोगों के लिए यातायात के सुलभ साधन नहीं है taxi मे लटक कर जाना पड़ता है सड़के खराब है वो हेलीकॉप्टर का क्या करेंगे।
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बधानी ताल का रास्ता रुद्रप्रयाग, तिलवाड़ा, तुनेठा, मयाली होते हुए जाता है रास्ते में पानी के प्राकृतिक स्रोत मन को मोह लेते है ये ताल रुद्रप्रयाग से केवल 58 kms की दूरी पर है। सर्दियों में यहां बर्फ पड़ती हैं जो कि ताल की सुंदरता में चार चांद लगा देती है
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ख़ास बात तो यह है कि यहां तक पहुंचने के लिए आपको गाड़ी से उतर कर केवल 200-300 मीटर पैदल चलना पड़ता है। इस छोटी सी दूरी में गांव वालों के घरों के बीच से गुजरते हुए आप तालाब तक पहुंच जाते हैं।
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तिलवाड़ा से यहां पहुंचने में लगभग 2 से 2.5 घंटे लग जाते हैं, लेकिन इस सफर का हर पल कुदरत की खूबसूरती से भरपूर होता है। रास्ता बहुत ही खराब स्थिति में है वैसे तो यहां तक उत्तराखंड की विश्वनाथ बस सेवा चलती है पर छोटी गाड़ी के लिए थोड़ी मुश्किल है।
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उत्तराखंड के इस अद्भुत स्थान पर पहुंचकर, आप न सिर्फ प्राकृतिक सौंदर्य का अनुभव करते हैं, बल्कि गांव की शांति और सादगी भी महसूस कर सकते हैं। यह स्थान निश्चित ही एक अविस्मरणीय यात्रा का हिस्सा बन जाता है, जहां हर कदम पर प्रकृति का संगम होता है।
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